*असली इतिहास :*
*डरपोक अकबर ने ७ फ़ीट ८ इंच की ऊंचाई वाले बहलोल खां को भेजा था, महाराणा प्रताप का सर लाने!*
*कभी नहीं हारा था बहलोल खां! अपने महाराणा ने उसे घोड़े सहित दो टुकड़ों में चीर दिया था!*
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*मुगली अकबर का सबसे खतरनाक एक सेना नायक हुआ करता था! नाम था बहलोल खां!*
*कहा जाता है कि हाथी जैसा बदन था इसका, और अपने बल का जोर इतना कि नसें फटने को होती थीं!*
*ज़ालिम इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत-रेत के मार देता था, बशर्ते वो हिन्दू का हो!*.
*एक भी लड़ाई में कभी पराजित नहीं हुआ था अपने पूरे जीवन में ये बहलोल खां!*
*काफी लम्बा था, ७ फुट ८ इंच की ऊंचाई थी! कहा जाता है कि घोडा उसके सामने छोटा लगता था! बहुत चौड़ा और ताकतवर था बहलोल खां!अकबर को बहलोल खां पर खूब गर्व था! लूटी हुई औरतों में से बहुत सी बहलोल खां को दे दी जाती थी!*
*फिर हल्दी घाटी का युद्ध हुआ! अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाएं आमने-सामने थी! अकबर महाराणा प्रताप से बहुत डरता था, इसलिए वो स्वयं इस युद्ध से दूर रहा! अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया हिन्दू-वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से!*
*लड़ाई पूरे जोर पर थी, और मुगलई गंद खा-खा के शक्ती का पहाड़ बने बहलोल खां का आमना-सामना हो गया अपने प्रताप से!*
*अफीम के ख़ुमार में डूबी हुई सुर्ख नशेड़ी आँखों से भगवा अग्नि की लपट सी प्रदीप्त रण के मद में डूबी आँखें टकराईं और जबरदस्त भिडंत प्रारंभ हुई!*
*कुछ देर तक तो राणा यूँ ही मज़ाक सा खेलते रहे मुगलिया बिलाव के साथ!*
*और फिर गुस्से में आ के अपनी तलवार से, एक ही वार में घोड़े सहित, हाथी सरीखे उस नर का पूरा धड़ बिलकुल सीधी लकीर में चीर दिया!*
*ऐसा फाड़ा कि बहलोल खां का आधा शरीर इस तरफ, और आधा उस तरफ गिरा!*
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*ऐसे-ऐसे युद्ध-रत्न उगले हैं सदियों से सनातन भारत भूमि ने, पर देशद्रोहियों ने इतिहास मुगलों के गुणगान से भर दिया, ओर हिन्दू योद्धाओं को "उग्रपंथी", "विद्रोही" जैसे शब्दों में लपेट कर, किसी एक या दो पन्ने तक सीमित कर दबा दिया! देशद्रोहियों ने बहुत गद्दारी की भारत के इतिहास के साथ!*
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*जय भवानी! जय प्रताप!*
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*९ मई :*
*नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)*
*जन्म - ९ मई, १५४० ई.*
*जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान*
*पुण्य तिथि - २९ जनवरी, १५९७ ई.*
*पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी*
*माता - राणी जीवत कँवर जी*
*राज्य - मेवाड़*
*शासन काल - १५६८–१५९७ ई.*
*शासन अवधि - २९ वर्ष*
*वंश - सुर्यवंश*
*राजवंश - सिसोदिया*
*राजघराना - राजपूताना*
*धार्मिक मान्यता - सनातन हिंदू धर्म*
*युद्ध - हल्दी घाटी का युद्ध*
*राजधानी - उदयपुर*
*पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह*
*उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह*
*अन्य ऐतिहासिक जानकारी -*
*महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक प्रिय घोड़ा था, जिसका नाम 'चेतक' था!*
*राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के महाराणा थे!*
*वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि महाराणा प्रताप का जन्म हुआ!*
*महाराणा का नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है!*
*महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है!*
*महाराणा प्रताप के बारे में कुछ और रोचक तथा ऐतिहासिक जानकारी :*
*१. महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे!*
*२. जब अमरीकी राष्ट्र प्रमुख एब्राहॅम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे, तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आयें?*
*तब माँ का उत्तर मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था, कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना!” लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया! “बुक ऑफ़ ध प्रेसिडेंट ऑफ यु.एस.ए" पुस्तक में आप यह बात पढ़ सकते हैं!*
*३. महाराणा प्रताप के भाले का वजन ८० किलोग्राम था, और कवच का वजन भी ८० किलोग्राम ही था!*
*कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं, तो कुल वजन २०७ किलो था!*
*४. आज भी महाराणा प्रताप की तलवार, कवच आदि सामान उदयपुर राजघराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं !*
*५. अकबर ने कहा था कि "अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते हैं, तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे, पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी!"*
*लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया था!*
*६. हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से २०,००० सैनिक थे, और अकबर की ओर से ८५,००० सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए!*
*७. महाराणा प्रताप के घोड़े "चेतक" का मंदिर भी बना हुआ है, जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है!*
*८. महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया, तब उनके साथ लुहार जाति के सैंकडों नागरिकगण ने भी घर छोड़ा, और दिन रात राणा कि सेना के लिए तलवारें बनाईं! इसी समाज को आज गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में "गाढ़िया लोहार" कहा जाता है!*
*हम नमन करते हैं ऐसे नागरिकों को!*
*९. हल्दी घाटी के युद्ध के ३०० वर्ष बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई जाती हैं! अंतिम बार तलवारों का जखीरा १९८५ में हल्दी घाटी में पाया गया था!*
*१०. महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी, जो ८,००० राजपूत वीरों को लेकर ७०,००० मुसलमानों से लड़े थे! उस युद्ध में ४८,००० मारे गए थे, जिनमें ८,००० राजपूत और ४०,००० मुग़ल सैनिक थे!*
*११. महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था!*
*१२. मेवाड़ के वनवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की सेना को अपने तीरो से रौंद डाला था! वो महाराणा प्रताप को अपना सुपुत्र मानते थे! और राणा भी बिना भेदभाव के उनके साथ रहते थे!*
*आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील!*
*१३. महाराणा प्रताप का घोड़ा "चेतक" महाराणा को २६ फीट का दरिया पार करने के बाद, वीरगति को प्राप्त हुआ था! उसकी एक टांग टूटने के बाद भी, वह दरिया पार कर गया! जहाँ वो घायल हुआ वहां आज "खोड़ी इमली" नाम का पेड़ है! जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है!*
*१४. राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत शक्तिशाली था! उसके मुँह के आगे शत्रु के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी! यह "हेतक" और "चेतक" नाम के दो घोड़े थे!*
*१५. मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ ८५% मेवाड फिर से विजय होकर प्राप्त कर लिया था!*
*सोने-चांदी की चमक और महलों को छोड़कर वो २० वर्षों तक मेवाड़ के जंगलो में घूमे, और वनवासियों को संगठीत किया!*
*१६. महाराणा प्रताप का वजन ११०किलो, और लम्बाई ७ फुट, ८ इंच थी!*
*दो म्यानों वाली तलवार और ८० किलो का भाला रखते थे हाथ में!*
*महाराणा प्रताप के हाथी की कथा :*
*मित्रो, आप सभी ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन उनका एक प्रिय हाथी भी था, जिसका नाम था "रामप्रसाद"!*
*उसके बारे में आपको कुछ बातें बतायें :*
*रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल-बदायुनी, जो मुगलों की ओर से हल्दी घाटी के युद्ध में लड़ा था, ने अपने एक ग्रन्थ में किया है!*
*वो लिखता है कि जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी तब उसने दो चीजों को ही बंदी बनाने की मांग की थी - एक तो खुद महाराणा, और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद!*
*आगे अल बदायुनी लिखता है कि वो हाथी इतना समझदार व शक्तिशाली था कि उसने हल्दी घाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के १३ हाथियों को मार गिराया था!*
*वो आगे लिखता है कि "उस हाथी को पकड़ने के लिए हमने ७ बड़े हाथियों का एक चक्रव्यूह बनाया और उन पर १४ महावतो को बिठाया! तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये!"*
*अब सुनिए एक भारतीय जानवर की स्वामी भक्ति!*
*उस हाथी को अकबर के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां अकबर ने उसका नाम "पीरप्रसाद" रखा!रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ना और पानी दिया! पर उस स्वामिभक्त हाथी ने १८ दिनों तक मुगलों का न तो दाना खाया, और न ही पानी पिया, और वो बलिदान हो गया!*
*तब अकबर ने कहा था कि जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया, उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाउँगा?*
*ऐसे ऐसे देशभक्त चेतक व रामप्रसाद जैसे तो यहाँ पशु थे!*
*इसलिए, मित्रों, सदैव अपने सनातन और भारतीय होने पे गर्व करो! पढ़कर सीना चौड़ा हुआ हो, तो शेयर कर देना!*
🙏🏼🙏
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