Saturday 29 May 2021

Important Questions अरविन्द घोषप्रश्न =1 महर्षि अरविन्द घोष ने कहा कि स्वतंत्र राष्ट्र में नागरिकों के लिए तीन प्रकार के अधिकार मिलने चाहिए तीनो में कौन सा शामिल नही है ?(अ) स्वतंत्र प्रेस और अभिव्यक्ति का अधिकार(ब) स्वतंत्र सार्वजनिक सभा करने का अधिकार(स) सम्प्रभु शक्ति का अधिकार ✔(द)संगठन निर्मित करने का अधिकारप्रश्न =2 अरविन्द घोष ने सन् 1890 मे केवल १८ वर्ष की आयु में ही आई० सी० एस० की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। परंतु चयनित नही हो सके क्यों कि(अ) घुड़सवारी की परीक्षा में असफल रहे ✔(ब) तैरना नहीं आता था(स) वे भारतीय नहीं थे(द) उपरोक्त में से कोई नहींव्याख्यान = उन्होंने केवल १८ वर्ष की आयु में ही आई० सी० एस० की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, ग्रीक एवं इटैलियन भाषाओँ में भी निपुणता प्राप्त की थी।देशभक्ति से प्रेरित इस युवा ने जानबूझ कर घुड़सवारी की परीक्षा देने से इनकार कर दिया और राष्ट्र-सेवा करने की ठान ली। इनकी प्रतिभा से बड़ौदा नरेश अत्यधिक प्रभावित थे अत: उन्होंने इन्हें अपनी रियासत में शिक्षा शास्त्री के रूप में नियुक्त कर लिया। बडौदा में ये प्राध्यापक, वाइस प्रिंसिपल, निजी सचिव आदि कार्य योग्यता पूर्वक करते रहे और इस दौरान हजारों छात्रों को चरित्रवान देशभक्त बनाया।प्रश्न =3 अरविन्द घोष बड़ौदा से अपनी नौकरी छोड़कर कब सक्रिय राजनीति में कूद पड़े ?(अ) 1903(ब) 1904(स) 1905(द) 1906✔प्रश्न =4 अरविन्द घोष ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर आध्यात्मिक चिन्तन की दिशा में कार्य किया ?(अ) 1906(ब) 1908(स) 1910✔(द) 1912व्याख्यान = अरविन्द घोष ने 1910 मे सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर आध्यात्मिक चिन्तन की दिशा में कार्य किया और पांडिचेरी में 'ऑरविले' नामक आश्रम स्थापित किया।प्रश्न =5 अरविन्द घोष को 'भारतीय राष्ट्रवाद का पैगम्बर' किसने कहा ?(अ) डाॅ कर्ण सिंह ✔(ब) डाॅ फ्रेडरिक स्पजलबर्ग(स) लाॅड मिंटो(द) कोई नहींप्रश्न =6 अरविन्द घोष को 'भारतीय विचारको का राजकुमार' किसने कहा ?(अ) डाॅ कर्ण सिंह(ब) डाॅ फ्रेडरिक स्पजलबर्ग(स) लाॅड मिंटो(द) रोमन रोलैंड ✔प्रश्न =7 निम्नलिखित में से कौन सा अरविन्द घोष के चिन्तन में शामिल नहीं है ?(अ) शांतिपूर्ण प्रतिरोध(ब) नवमानवतावाद✔(स) आध्यात्मिक राष्ट्रवाद(द) विश्व एकता का विचारव्याख्यान = अरविन्द घोष अपने जीवन के तीसरे चरण में आमूल परिवर्तनीय हो गए आध्यात्मिक मानववाद को अपनाया नवमानवतावाद को नहीं ।प्रश्न =8 अरविन्द घोष प्रभावित हुए ?(अ) बंकिम चन्द्र चटर्जी के 'आनंद मठ' व 'कृष्ण चरित्र' से(ब) हीगल के विचारों से(स) बर्क के विचारों से(द) उपरोक्त सभी ✔प्रश्न =9 अरविन्द घोष से सम्बन्धित है?(अ) जीवन का प्रथम चरण -उग्र-राष्ट्रीयवादी(ब) जीवन का द्वितीय चरण -स्वदेशी व बहिष्कार(स) जीवन का तृतीय चरण- आमूल परिवर्तनीय (आध्यात्मिक मानववाद)(द) उपरोक्त सभी ✔व्याख्यान =अरविन्द घोष ने जीवन के पहले चरण में उग्र-राष्ट्रीयवादी विचारधारा का समर्थन किया ,जीवन के दूसरे चरण में स्वदेशी व बहिष्कार का समर्थन किया औरजीवन के तीसरे चरण में आमूल परिवर्तनीय हो गए (आध्यात्मिक मानववाद को अपनाया )प्रश्न =10 'पाण्डिचेरी का संत' किसको माना जाता है ?(अ) महात्मा गांधी को(ब) जय प्रकाश नारायण को(स) अरविन्द घोष को✔(द) विनोबा भावे कोव्याख्यान = इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में 'ऑरविले' नामक आश्रम स्थापित किया।प्रश्न =11 अरविन्द घोष निष्क्रिय प्रतिरोध के कई साधनो का उल्लेख करते हैं जिनमें शामिल नही है ?(अ) ब्रिटिश सामान का बहिष्कार(ब) शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार(स) सैद्धांतिक का विरोध✔(द) न्यायालयों का बहिष्कारप्रश्न =12किसने कहा कि "भारत अरविन्द के माध्यम से संसार को अपना संदेश देगा।"(अ) रविन्द्र नाथ टैगोर ✔(ब) बंकिम चन्द्र चटर्जी(स) रोमा रोला(द) इनमें से किसी ने नहींव्याख्यान =रवीन्द्रनाथ ठाकुर और अरबिंदो घोष ने इस जन आंदोलन का नेतृत्व किया।(बंगाल विभाजन के कारण आंदोलन) इस आंदोलन के विषय में लोकमान्य तिलक ने कहा - बंगाल पर किया गया अंग्रेज़ों का प्रहार सम्पूर्ण राष्ट्र पर प्रहार है। अरबिंदो घोष ने राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत करने तथा अंग्रेज़ों का विरोध प्रदर्शित करने के लिए पत्र - पत्रिकाओं में विचारोत्तेजक और प्रभावशाली लेख लिखे। उनके लेखों से जन जन में जागृति आ गयी। ब्रिटिश सरकार उनके इस क्रिया कलापों से चिंतित हो गई। सरकार ने "अलीपुर बम कांड" के अंतर्गत उन्हें जेल भेज दिया।प्रश्न =13 अरविन्द घोष को 'भारतीय राजनीतिक विचारकों में 'सुयोग्यतम् व सर्वोकृष्ट'' किसने बताया है(अ) डाॅ राधाकृष्णन ✔(ब) टेगौर(स) वेलेन्टाइन शिरोल(द) विपिनचन्द्र पालप्रश्न =14 अरविन्द घोष के लिए किसने लिखा है- जब मैं 1913 में कलकत्ता आया, अरबिंदो तब तक किंवदंती पुरुष हो चुके थे। जिस आनंद तथा उत्साह के साथ लोग उनकी चर्चा करते शायद ही किसी की वैसे करते।(अ) रविन्द्र नाथ टैगोर(ब)नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ✔(स) विनोबा भावे(द) सभीप्रश्न = 15 ब्रिटिश सरकार अरविन्द घोष के क्रिया कलापों से चिंतित हो गई। सरकार ने "अलीपुर बम कांड" के अंतर्गत उन्हें जेल भेज दिया।कितने सदस्यों का समूह था जिनहे जेल यात्रा करनी पड़ी(अ) 25(ब)30(स)40✔(द) 45व्याख्यान =ब्रिटिश सरकार इनके क्रन्तिकारी विचारों और कार्यों से अत्यधिक आतंकित थी अत: 2 मई 1908 को चालीस युवकों के साथ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इतिहास में इसे 'अलीपुर षडयन्त्र केस' के नाम से जानते है। उन्हें एक वर्ष तक अलीपुर जेल में कैद रखा गया।| अलीपुर जेल में ही उन्हें हिन्दू धर्म एवं हिन्दू-राष्ट्र विषयक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति हुई। इस षड़यन्त्र में अरविन्द को शामिल करने के लिये सरकार की ओर से जो गवाह तैयार किया था उसकी एक दिन जेल में ही हत्या कर दी गयी। घोष के पक्ष में प्रसिद्ध बैरिस्टर चितरंजन दास ने मुकदमे की पैरवी की थी। उन्होने अपने प्रबल तर्कों के आधार पर अरविन्द को सारे अभियोगों से मुक्त घोषित करा दिया।

Important Questions 
अरविन्द घोष

प्रश्न =1 महर्षि अरविन्द घोष ने कहा कि स्वतंत्र राष्ट्र में नागरिकों के लिए तीन प्रकार के अधिकार मिलने चाहिए तीनो में कौन सा शामिल नही है ?
(अ) स्वतंत्र प्रेस और अभिव्यक्ति का अधिकार
(ब) स्वतंत्र सार्वजनिक सभा करने का अधिकार
(स) सम्प्रभु शक्ति का अधिकार ✔
(द)संगठन निर्मित करने का अधिकार
प्रश्न =2 अरविन्द घोष ने सन् 1890 मे केवल १८ वर्ष की आयु में ही आई० सी० एस० की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। परंतु चयनित नही हो सके क्यों कि
(अ) घुड़सवारी की परीक्षा में असफल रहे ✔
(ब) तैरना नहीं आता था
(स) वे भारतीय नहीं थे
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
व्याख्यान = उन्होंने केवल १८ वर्ष की आयु में ही आई० सी० एस० की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, ग्रीक एवं इटैलियन भाषाओँ में भी निपुणता प्राप्त की थी।देशभक्ति से प्रेरित इस युवा ने जानबूझ कर घुड़सवारी की परीक्षा देने से इनकार कर दिया और राष्ट्र-सेवा करने की ठान ली। इनकी प्रतिभा से बड़ौदा नरेश अत्यधिक प्रभावित थे अत: उन्होंने इन्हें अपनी रियासत में शिक्षा शास्त्री के रूप में नियुक्त कर लिया। बडौदा में ये प्राध्यापक, वाइस प्रिंसिपल, निजी सचिव आदि कार्य योग्यता पूर्वक करते रहे और इस दौरान हजारों छात्रों को चरित्रवान देशभक्त बनाया।
प्रश्न =3 अरविन्द घोष बड़ौदा से अपनी नौकरी छोड़कर कब सक्रिय राजनीति में कूद पड़े ?
(अ) 1903
(ब) 1904
(स) 1905
(द) 1906✔
प्रश्न =4 अरविन्द घोष ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर आध्यात्मिक चिन्तन की दिशा में कार्य किया ?
(अ) 1906
(ब) 1908
(स) 1910✔
(द) 1912
व्याख्यान = अरविन्द घोष ने 1910 मे सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर आध्यात्मिक चिन्तन की दिशा में कार्य किया और पांडिचेरी में 'ऑरविले' नामक आश्रम स्थापित किया।
प्रश्न =5 अरविन्द घोष को 'भारतीय राष्ट्रवाद का पैगम्बर' किसने कहा ?
(अ) डाॅ कर्ण सिंह ✔
(ब) डाॅ फ्रेडरिक स्पजलबर्ग
(स) लाॅड मिंटो
(द) कोई नहीं
प्रश्न =6 अरविन्द घोष को 'भारतीय विचारको का राजकुमार' किसने कहा ?
(अ) डाॅ कर्ण सिंह
(ब) डाॅ फ्रेडरिक स्पजलबर्ग
(स) लाॅड मिंटो
(द) रोमन रोलैंड ✔
प्रश्न =7 निम्नलिखित में से कौन सा अरविन्द घोष के चिन्तन में शामिल नहीं है ?
(अ) शांतिपूर्ण प्रतिरोध
(ब) नवमानवतावाद✔
(स) आध्यात्मिक राष्ट्रवाद
(द) विश्व एकता का विचार
व्याख्यान = अरविन्द घोष अपने जीवन के तीसरे चरण में आमूल परिवर्तनीय हो गए आध्यात्मिक मानववाद को अपनाया नवमानवतावाद को नहीं ।
प्रश्न =8 अरविन्द घोष प्रभावित हुए ?
(अ) बंकिम चन्द्र चटर्जी के 'आनंद मठ' व 'कृष्ण चरित्र' से
(ब) हीगल के विचारों से
(स) बर्क के विचारों से
(द) उपरोक्त सभी ✔
प्रश्न =9 अरविन्द घोष से सम्बन्धित है?
(अ) जीवन का प्रथम चरण -उग्र-राष्ट्रीय
वादी
(ब) जीवन का द्वितीय चरण -स्वदेशी व बहिष्कार
(स) जीवन का तृतीय चरण- आमूल परिवर्तनीय (आध्यात्मिक मानववाद)
(द) उपरोक्त सभी ✔
व्याख्यान =अरविन्द घोष ने जीवन के पहले चरण में उग्र-राष्ट्रीयवादी विचारधारा का समर्थन किया ,जीवन के दूसरे चरण में स्वदेशी व बहिष्कार का समर्थन किया और
जीवन के तीसरे चरण में आमूल परिवर्तनीय हो गए (आध्यात्मिक मानववाद को अपनाया )
प्रश्न =10 'पाण्डिचेरी का संत' किसको माना जाता है ?
(अ) महात्मा गांधी को
(ब) जय प्रकाश नारायण को
(स) अरविन्द घोष को✔
(द) विनोबा भावे को
व्याख्यान = इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में 'ऑरविले' नामक आश्रम स्थापित किया।
प्रश्न =11 अरविन्द घोष निष्क्रिय प्रतिरोध के कई साधनो का उल्लेख करते हैं जिनमें शामिल नही है ?
(अ) ब्रिटिश सामान का बहिष्कार
(ब) शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार
(स) सैद्धांतिक का विरोध✔
(द) न्यायालयों का बहिष्कार
प्रश्न =12किसने कहा कि "भारत अरविन्द के माध्यम से संसार को अपना संदेश देगा।"
(अ) रविन्द्र नाथ टैगोर ✔
(ब) बंकिम चन्द्र चटर्जी
(स) रोमा रोला
(द) इनमें से किसी ने नहीं
व्याख्यान =रवीन्द्रनाथ ठाकुर और अरबिंदो घोष ने इस जन आंदोलन का नेतृत्व किया।(बंगाल विभाजन के कारण आंदोलन) इस आंदोलन के विषय में लोकमान्य तिलक ने कहा - बंगाल पर किया गया अंग्रेज़ों का प्रहार सम्पूर्ण राष्ट्र पर प्रहार है। अरबिंदो घोष ने राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत करने तथा अंग्रेज़ों का विरोध प्रदर्शित करने के लिए पत्र - पत्रिकाओं में विचारोत्तेजक और प्रभावशाली लेख लिखे। उनके लेखों से जन जन में जागृति आ गयी। ब्रिटिश सरकार उनके इस क्रिया कलापों से चिंतित हो गई। सरकार ने "अलीपुर बम कांड" के अंतर्गत उन्हें जेल भेज दिया।
प्रश्न =13 अरविन्द घोष को 'भारतीय राजनीतिक विचारकों में 'सुयोग्यतम् व सर्वोकृष्ट'' किसने बताया है
(अ) डाॅ राधाकृष्णन ✔
(ब) टेगौर
(स) वेलेन्टाइन शिरोल
(द) विपिनचन्द्र पाल
प्रश्न =14 अरविन्द घोष के लिए किसने लिखा है- जब मैं 1913 में कलकत्ता आया, अरबिंदो तब तक किंवदंती पुरुष हो चुके थे। जिस आनंद तथा उत्साह के साथ लोग उनकी चर्चा करते शायद ही किसी की वैसे करते।
(अ) रविन्द्र नाथ टैगोर
(ब)नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ✔
(स) विनोबा भावे
(द) सभी
प्रश्न = 15 ब्रिटिश सरकार अरविन्द घोष के क्रिया कलापों से चिंतित हो गई। सरकार ने "अलीपुर बम कांड" के अंतर्गत उन्हें जेल भेज दिया।कितने सदस्यों का समूह था जिनहे जेल यात्रा करनी पड़ी
(अ) 25
(ब)30
(स)40✔
(द) 45
व्याख्यान =ब्रिटिश सरकार इनके क्रन्तिकारी विचारों और कार्यों से अत्यधिक आतंकित थी अत: 2 मई 1908 को चालीस युवकों के साथ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इतिहास में इसे 'अलीपुर षडयन्त्र केस' के नाम से जानते है। उन्हें एक वर्ष तक अलीपुर जेल में कैद रखा गया।| अलीपुर जेल में ही उन्हें हिन्दू धर्म एवं हिन्दू-राष्ट्र विषयक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति हुई। इस षड़यन्त्र में अरविन्द को शामिल करने के लिये सरकार की ओर से जो गवाह तैयार किया था उसकी एक दिन जेल में ही हत्या कर दी गयी। घोष के पक्ष में प्रसिद्ध बैरिस्टर चितरंजन दास ने मुकदमे की पैरवी की थी। उन्होने अपने प्रबल तर्कों के आधार पर अरविन्द को सारे अभियोगों से मुक्त घोषित करा दिया।

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