Wednesday, 9 June 2021

कहानी------ टपका का डर --- बरसात का दिन था।चारों और पानी बरस रहा था।जंगल में बुढ़िया का घर भीग रहा था। जल्दी ही बूढीया का घर टपकने लगा । बुढ़िया परेशान हो ऊठी परंतु करती भी क्या? थोड़ी देर में ओले भी पड़ने लगे।बेर बराबर ओले!उधर एक बाघ ओलों की मार से परेशान हो उठा।कूदते -फाँदते बूढीया के घर के पास पहुंचा।बुढ़िया अंदर चावल पका रही थी।चूल्हे पर पानी टपक रहा था, टप टप वह झुंझला उठी और बोली -" मुझे टपका से इतना डर लगता है जितना बाघ से भी नहीं।बाघ ने सोचा -- बुढ़िया मुझसे तो नहीं डरती मगर टपका से डरती है।जरूर टपका मुझसे भी बड़ा जानवर होगा।बस इतना सोचते ही बाघ घबराया और सिर पर पैर रखकर भाग गया।

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