कहानी ------ चतुर चूहा
एक चूहा था। वह रास्ते पर जा रहा था उसे कपड़े का एक टुकड़ा मिला। उसे लेकर आगे बढ़ा। उसने एक दर्जी की दुकान देखी। दर्जी के पास जाकर उसने कहा ----
चूहा --- दरजी रे दरजी! इस कपड़े की टोपी सी दे।
दरजी --- यह कौन बोल रहा है?
चूहा --- मैं एक चूहा, चूहा बोल रहा हूं। इसकी एक टोपी सी दे।
दरजी --- चल -----रास्ता नाप। वरना कैसी उठा कर मारूंगा।
चूहा --- अरे! तुम मुझे डरा रहा है -----
कचहरी में जाऊंगा, सिपाही को बुलाऊंगा, तुझे खूब पिटवाऊगा, और तमाशा देखूंगा।
यह सुन दरजी डर गया। उसने झटपट टोपी सी दी।
टोपी पहनकर चूहा आगे बढ़ा। रास्ते में कसीदा कार की दुकान देखी। चूहे को टोपी पर कसीदा बढ़ाने की इच्छा हुई।
चूहा ---- भाई! मेरी टोपी पर थोड़ा कसीदा काढ़ दे। कशीदाकारी ने चूहे की और देखा। फिर उसे धमकाया और कहा -- चल-- चल-- यहां किसे फुरसत है।'
चूहा --- अच्छा तो तू भी मुझे भगा रहा है, लेकिन सुन,
कचहरी में जाऊंगा, सिपाही को बुलाऊंगा,
तुझे खूब पिटवाऊँगा, और तमाशा देखूंगा।
यह सुन कसीदाकार घबराया। उसने चूहे को कचहरी में जाने से रोका। इससे टोपी लेकर उस पर अच्छा कसीदा काढ़ दिया। चूहा तो खुश हो गया।
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