Friday, 21 February 2025

भावनगर

12

भावनगर

लोकजीवन की रक्षा करना हमारे ही हाथ में हैं। इस कार्य में जागरूकता का महत्त्व स्वीकारना होगा। तरणेतर से दक्षिण की ओर चलते हैं।

यह है वलभीपुर। पाँचवी शताब्दी में गुप्ता राजवंश का पतन होने लगा था। उस समय उनके सेनापति भट्टारक ने सौराष्ट्र को अपने हाथ में ले लिया। वलभीपुर को राजधानी बना लिया। भट्टारक मैत्रक वंश का था। ये लोग बड़े शक्तिशाली थे। इन्होंने गुजरात और मालवा के कई भागों पर अपना वर्चस्व जमा दिया था। यहाँ विश्वविद्यालय की स्थापना भी की गई थी, लेकिन जब अरबों के हमले हुए तब उसका नाश हो गया।

सौराष्ट्र में कई छोटे-छोटे राज्य थे। उनमें से एक था राजा भावसिंह जी का भावनगर। सन् 1723 में यह शहर बसा था। तभी से एक बंदरगाह के रूप में इसका विकास होता रहा था। दो स्टीमर एक साथ खड़े रह सकें इतनी बड़ी इसकी गोदी है। यहाँ "लाक-गेट" बनाये गये हैं, जिसके कारण समुद्र में भाटा हो तब भी इसमें जहाज तैरते रहते हैं। गुजरात में इस प्रकार का यह पहला "लाक-गेट" है।

भावनगर में सौराष्ट्र विश्वविद्यालय है, केन्द्रीय नमक और समुद्री अनुसंधान इंस्टिट्यूट भी है। दांडी में नमक के सत्याग्रह की बात करते समय हमने यह तो जान ही लिया था कि भारत में नमक का कुल जितना उत्पादन होता है उसका 60 प्रतिशत गुजरात में होता है!
गांधी जी की स्मृति में यहाँ एक पुस्तकालय और सग्रहालय है, जिसका नाम ही गांधी-स्मृति है। 1888 में गांधी जी भावनगर के शामलदास कालेज में विद्यार्थी थे। इस पुस्तकालय में गांधीजी के जीवन व विचार से संबंधित लगभग चालीस हजार पुस्तकें हैं

एक टीले पर तख्तेश्वर मंदिर है। यहाँ से सारा भावनगर दिखाई देता है।


No comments:

Post a Comment